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संस्कृतशास्त्रपरम्पराकेसंरक्षणकासरलतमआधुनिकतमतथाप्रभावपूर्णमार्गहै。
प्रास्ताविकम्
संस्कृतशास्त्रलोचनम्आभासीजगतकाअनुपमउपहारहै。 संस्कृतशास्त्रपरम्पराकेसंरक्षणकासरलतमआधुनिकतमतथाप्रभावपूर्णमार्गहै。 सामान्यतःशैक्षिकसंस्थाओंमेंविशिष्टशास्त्रीयव्याख्यानमालाकाआयोजनकियाजाताहै。 जिसमेंएकएकव्याख्यानकेलिएहजारोंरूपयेव्ययहोताहै,किन्तुश्रोताकेरूपमेंदसयाबीसहीमिलपातेहैं。 वेभीप्रायोजितहोनेकेकारणसुननापडताहै。 इसलिएहमाराआमुखपटलसमूहसंस्कृतंभारतम्जोअठ्ठरहहजारसक्रियकार्यकर्ताओंकासमूहहै,जिसेएकविद्वतसमुदायकेमार्गदर्शनमेंचलायाजारहाहै。 मैंएकनयामार्गनिकलाकिक्योंनयहीव्याख्यानजनसंचारमाध्यमकेद्वारानिःशुल्ककरवायाजाय。 यहीसोचकर12नवम्बर,2017सेशास्त्रलोचनम्नामसेप्रत्येकशनिवारएवंरविवारकोसायंआठबजेसेनौबजेतकलाइवव्याख्यानमालामेंआयोजितकीजाए。 इसदेशकेप्रसिद्धविद्वान्जैसेकिआचार्यरामयत्नशुक्लजी,आचार्यअभिराजराजेन्द्रमिश्रजी,आचार्यपीयूषकान्तदीक्षितजी,आचार्यब्रजभूषणओझाजी,आचार्यउमेशनेपालजी,आचार्यमहेशझाजीआदिअनेकोंविद्वानोंनेअपनायोगदानदेकरअभीतकइसकोसफलबनातेआरहेहै。 इसकेआयोजनमेंसंस्कृतभारतंकेसक्रियकार्यकर्ताओंकाजैसेकिआचार्यमदनमोहनझाजी,डॉ-नवलताजी,डॉ-जगदानन्दझाजी,डॉ-अरविन्दकुमारतिवारीजी,डॉचन्द्रकान्तशुक्लजी,कायोगदानअतुलनीयहै。 देशकेप्रमुखसंस्थानोंकेविद्वानोंनेजैसेकेबी。 एच्。 यू,सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालयतथाराष्ट्रियसंस्कृतसंस्थानकेपरिसरोंकेनकेवलविद्वान्अपितुअनुसंधाताभीअहमहमिकतयाभागलेकरकार्यक्रमकोसफलबनारहेहै。 इसकार्यक्रमकोइसमुकामपरसंस्कृतभारतंकेकार्यकर्ताओंनेपहुंचादियाहैकिलोगोंकेआचरणतथादिनचर्याबनगईहैशास्त्रालोचनम्सुननेकी。 इसकार्यक्रमकीयहीविशेषताहैकिइसमेंव्याख्यानसंकलितहोताहै。 उसेअपनीसुविधानुसारपुनःसुनसकतेहै。
चुंकिसारेव्याख्यानोंकोयदाकदासुननेहेतुआमुखपटलपरखोजनाअथवायूट्यूबपरढूंढनाकष्टसाध्यहोताहै。 अतःहमनेसोचाकिक्योंनसारेव्याख्यानोंकायाशास्त्रालोचनम्काएकएण्ड्रायडएपबनालियाजाएजिससेकभीभीकिसीभीविद्वानकाव्याख्यानसुनसकतेहै。 इसएपमेंविद्वानोंकेनामसेअथवाउनकेद्वाराप्रदत्तव्याख्यानकेशीर्षकसेव्याख्यानकाअन्वेषणकरसकतेहै。 व्याख्यानकेअन्वेषणोपरान्तव्याख्याताकेचित्रपरक्लिककरनेसेवहव्याख्यानउपभोक्तादेखसकतेहै。 भविष्यमेंभीप्रतिसप्ताहहोनेवालेव्याख्यानोंकोभीइसएपमेंजोडाजासकेगा。 उपभोक्ताअपनेएपकोजबकभीअपडेटकरेंगेतोनएव्याख्यानउनकेएपमेंस्वतःजुडजाएंगे。 इसतरहजिसकिसीकेपासयहएपहोगावेकिसीभीव्याख्याननेवंचितनहींरहपायेंगे。 संस्कृतंभारतंपरजितनेभीलाइव्हकार्यक्रममेंकाव्यपाठादिहुएहैयाहोंगेउन्हेंभीइसएपमेंभविष्यमेंजोडाजातारहेगा。 जिससेउपभोक्तालाभान्वितहोपाएंगे。 अंतमेंसभीकोधन्यवाददेकरनिवेदनकरताहूंकिवेअपनाअभिमतएवंउद्गारअवश्यप्रकटकरें。
प्रो。 मदनमोहनझा
Last updated on 2020年04月06日
Added "कवि परिचय"
Shastralochanam | संस्कृतशास्त
1.3 by Srujan Jha
2020年04月06日