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'समत्वंयोगउच्यते'योगसेजेवनमेंसमताआतीहै
‘समत्वं योग उच्यते ‘ योग से जीवन में समता आती है तथा सांसारिक द्वंदों व कष्टों को सुखपूर्वक सहन करने की क्षमता उत्पन्न होती है योग एक जीवन दर्शन है जो जीवन की प्रत्येक अवस्था में रहन सहन के तौर तरीके सिखाती है योग में ही शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास निहित है |
आजकल कि व्यस्ततम भाग दौड़ वाली आधुनिक जीवन शैली में जिस तरह मनुष्य शारीरिक ,मानसिक व्याधियों का शिकार हो रहा है विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित हो रहा है दवा खाकर जिस प्रकार रोगों को दावत दे रहा है ऐसे समय में योग सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पध्दति के रूप में सफल सिद्ध हो रहा है योग से साध्य ही नही असाध्य रोग ठीक हो रहे है योग कि चिकित्सा का आधार प्राण है ‘प्राण औषधि ही नही महाऔषधि है’| योग चिकित्सा 21 जून 2015 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के साथ विश्व व्यापी बन गयी है जब 27 सितम्बर 2014 को सयुक्त राष्ट्र महासभा में 69वें सत्र में भारत के माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्व समुदाय से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आवाहन किया तब 11 दिसम्बर 2014 को सयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से रिकॉर्ड 177 देशो ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति से अनुमोदित किया |
योग के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए हमारी ऋषि परम्परा से प्राप्त योग विद्या का ज्ञान जन सामान्य तक पहुचने के लिए दिनांक 18 मई 2015 को शिक्षाकुलम योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शोध संस्थान कुन्तीनगर कमालगंज जनपद –फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश भारत का सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम संख्या -21 ,1860 के अधीन रजिस्ट्रेशन कराया गया संस्थान द्वारा प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को बृहद स्तर पर मनाया गया तथा बिभिन्न निशुल्क योग कक्षाओ का आयोजन किया गया तब से लेकर संस्थान जन सामान्य को स्वास्थ लाभ देने के साथ युवाओ को योग के क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने के रूप में कार्य कर रहा है योग के कुशल अनुभवी योग शिक्षक , प्रशिक्षक तैयार कर विद्यालयों,कॉलेजों तथा महाविध्यालायो में योग शिक्षा की व्यवस्था करना तथा योग के क्षेत्र में अनुसन्धान कार्य को बढ़ावा देना संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है |
आइये योग अपनाये ,देश को स्वस्थ बनाये